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मोहब्बत और भाईचारे की मिसाल: मोहम्मदाबाद में होली और जुमे की नमाज सौहार्दपूर्ण संपन्न

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मोहम्मदाबाद (गाजीपुर)। इस वर्ष पुरे देश में होली और रमजान के जुमे की नमाज का संयोग एक ही दिन हुआ, लेकिन मोहम्मदाबाद में सौहार्द और भाईचारे की अनूठी मिसाल देखने को मिली। प्रशासन की सतर्कता और जनता की समझदारी से दोनों पर्व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए, जिससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई।

किसी भी अवांछित स्थिति को रोकने के लिए प्रशासन पहले से ही मुस्तैद था। पुलिस प्रशासन ने दंगा नियंत्रण अभ्यास और फ्लैग मार्च का आयोजन कर लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की थी। सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए जिलाधिकारी आर्यका अखौरी और पुलिस अधीक्षक डॉक्टर ईरज राजा ने नगर के प्रमुख मार्गों का भ्रमण किया। इस दौरान एसडीएम हर्षिता तिवारी, क्षेत्राधिकारी शेखर सिंह सेंगर, कोतवाली प्रभारी रामसजन नागर सहित पूरी पुलिस फोर्स तैनात रही। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी, जिससे माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण बना रहा।

प्रशासन ने दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से संवाद कर यह सहमति बनाई थी कि हिंदू समाज दोपहर 2:00 बजे तक रंग खेलने का कार्यक्रम समाप्त कर देगा, ताकि मुस्लिम समाज शांति से जुमे की नमाज अदा कर सके। इसी तरह, मुस्लिम समुदाय से भी अनुरोध किया गया था कि वे दोपहर 2:00 बजे से पहले किसी भी मस्जिद में नमाज अदा न करें।

इस सहमति का दोनों समुदायों ने ईमानदारी से पालन किया, जिससे पूरे क्षेत्र में सौहार्दपूर्ण माहौल बना रहा। मुस्लिम समाज के लोगों ने हिंदू भाइयों के साथ मिलकर होली खेली, गुलाल उड़ाया और खुशियों में शामिल हुए। वहीं, हिंदू समाज ने भी मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए समय से पहले रंग खेलना बंद कर दिया, जिससे मुस्लिम समाज बिना किसी व्यवधान के नमाज अदा कर सका।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मोहम्मदाबाद की मिट्टी हमेशा से प्रेम, सौहार्द और भाईचारे की रही है, और यही कारण है कि कोई भी ताकत इसे बांट नहीं सकती। इस आपसी सहयोग और समझदारी ने उन असामाजिक तत्वों को करारा जवाब दिया, जो माहौल बिगाड़ने की फिराक में थे।

इस सौहार्दपूर्ण वातावरण के लिए प्रशासन और जनता दोनों बधाई के पात्र हैं। कोतवाली प्रभारी रामसजन नागर ने क्षेत्र की जनता की समझदारी की सराहना करते हुए कहा कि मोहम्मदाबाद प्रेम और भाईचारे की मिसाल है। इस गंगा-जमुनी तहजीब ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सच्ची मोहब्बत और आपसी विश्वास के आगे नफरत की कोई जगह नहीं है।

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