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भारतीय संस्कृति के खिलाफ: स्कूलों में लड़कियों की ड्रेस पर उठ रहे सवाल

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आज के आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। स्कूलों में जहां एक ओर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ड्रेस कोड को लेकर भी एक नई बहस छिड़ गई है। कई स्कूलों में लड़कियों के लिए निर्धारित ड्रेस में स्कर्ट का प्रचलन है, जो संस्कृति और सभ्यता के दृष्टिकोण से कुछ माता-पिता के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।

हाल ही में एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई, जिसमें एक स्कूल समारोह के दौरान लड़कियों को छोटी स्कर्ट में देखा गया। कई लोगों ने इस पर अपनी आपत्ति जताई है और इसे भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताया है। उनका मानना है कि इस तरह की ड्रेस न केवल अनुचित है बल्कि बच्चों के विकास के लिए भी बाधा बन सकती है।

भारतीय संस्कृति की परंपरा और महत्व
भारत में हमेशा से ही महिलाओं के लिए सादगी और मर्यादा को विशेष महत्व दिया गया है। पारंपरिक परिधानों में महिलाएं अपने आत्मसम्मान और गरिमा को बनाए रखती हैं। कुछ माता-पिता और समाजसेवी मानते हैं कि स्कूलों में लड़कियों के लिए छोटी स्कर्ट पहनना भारतीय संस्कृति और परंपरा के खिलाफ है। उनका कहना है कि इस तरह की वेशभूषा लड़कियों की सुरक्षा और शालीनता पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है।

अभिभावकों की अपील
कई अभिभावकों का मानना है कि स्कूलों को बच्चों की वेशभूषा तय करते समय भारतीय परंपराओं का ध्यान रखना चाहिए। वे चाहते हैं कि स्कूलों में लड़कियों के लिए ऐसे कपड़े निर्धारित किए जाएं जो न केवल आरामदायक हों बल्कि उन्हें सुरक्षित और मर्यादित भी महसूस कराएं। अभिभावकों का यह भी कहना है कि शिक्षा के उद्देश्य को पूरी तरह समझते हुए स्कूल प्रशासन को ड्रेस कोड का निर्धारण करना चाहिए।

वैकल्पिक सुझाव
इसके समाधान के लिए, कुछ स्कूलों ने सुझाव दिया है कि लड़कियों के लिए स्कर्ट की जगह पैंट या लंबी स्कर्ट को शामिल किया जा सकता है। इससे बच्चों की गरिमा बनी रहेगी और उन्हें किसी भी प्रकार की असहजता का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ ही, इससे बच्चों के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी।

समाज की जिम्मेदारी
अभिभावकों के साथ-साथ समाज का भी कर्तव्य है कि वे बच्चों के भले के लिए जागरूकता फैलाएं और स्कूलों से अपेक्षा करें कि वे हमारी संस्कृति और मूल्यों का आदर करें।

आशा है कि स्कूल प्रशासन इस विषय को गंभीरता से लेकर बच्चों के हित में उचित कदम उठाएगा और भारतीय संस्कृति और मूल्यों को कायम रखने के लिए आवश्यक सुधार करेगा।

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