गाजीपुर। सड़क सुरक्षा को लेकर प्रदेश सरकार ने कठोर निर्णय लेते हुए “नो हेलमेट-नो फ्यूल” की नीति लागू की है। इसके तहत पंप संचालकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिना हेलमेट वाले दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल न दें। लेकिन जिले में यह व्यवस्था पूरी तरह फेल नजर आ रही है। आदेश के बावजूद पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट वालों को धड़ल्ले से पेट्रोल दिया जा रहा है।
सरकार के निर्देश धरे रह गए, पंप संचालक बना रहे नियमों का मजाक
नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक, शुक्रवार को पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट वालों की भीड़ देखी गई। न तो पंप कर्मचारियों ने कोई रोक-टोक की, न ही प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की सख्ती देखने को मिली। जब सरकार सड़क हादसों में कमी लाने के लिए इतनी सख्त नीति लेकर आई है, तो इसे लागू कराने में लापरवाही क्यों?
“नो हेलमेट-नो फ्यूल” केवल कागजों पर, लोगों को जानकारी तक नहीं!
हालात तो यह हैं कि कई लोगों को इस नई व्यवस्था के बारे में जानकारी ही नहीं है। शासन ने निर्देश दिया है कि पेट्रोल पंप संचालकों को जागरूक किया जाए और बिना हेलमेट पेट्रोल देने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। परिवहन आयुक्त बीएन सिंह की ओर से जारी पत्र में यहां तक कहा गया है कि हर 15 दिन पर इस व्यवस्था की समीक्षा की जाएगी। लेकिन जिले के 119 पेट्रोल पंपों में से एक पर भी इसका पालन होता नहीं दिख रहा है।
लाखों की आबादी, लेकिन सुरक्षा पर प्रशासन की गंभीरता गायब
गाजीपुर जैसे जिले की 40 लाख की आबादी के लिए 119 पेट्रोल पंप हैं। अगर यहां “नो हेलमेट-नो फ्यूल” जैसे नियमों को गंभीरता से लागू नहीं किया गया, तो सड़क हादसों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ सकती है।
कहां हैं जिम्मेदार अधिकारी?
प्रशासन की ढिलाई और पेट्रोल पंप संचालकों की मनमानी ने सड़क सुरक्षा के इस अभियान को मजाक बना दिया है। अगर समय रहते इस पर सख्ती नहीं बरती गई, तो यह आदेश भी अन्य कागजी आदेशों की तरह इतिहास बन जाएगा।
अब सवाल उठता है: सरकार की मंशा अच्छी है, लेकिन क्या जमीनी स्तर पर इसे लागू कराने में प्रशासन नाकाम हो गया है?
नीरज सिंह