फरवरी का महीना आते ही बाजार में चॉकलेट, टेडी बियर, गुलाब और महंगे तोहफों की भरमार हो जाती है। मोहब्बत के नाम पर एक पूरा सप्ताह तय कर दिया गया है, जहां 7 फरवरी से शुरू होकर 14 फरवरी तक हर दिन को किसी न किसी वस्तु से जोड़ा गया है—रोज़ डे, चॉकलेट डे, प्रपोज़ डे, टेडी डे और आखिर में वैलेंटाइन डे। इस दौरान हर जगह प्यार का एक दिखावटी माहौल तैयार कर दिया जाता है, लेकिन यह प्रेम का महीना है या सिर्फ एक भ्रम? यह सवाल अब उठना जरूरी हो गया है।
आज मोहब्बत को बाज़ार में बदल दिया गया है, जहां रिश्तों की गहराई चॉकलेट की मिठास में तौली जाती है और सच्चाई महंगे तोहफों में खो जाती है। यह सिलसिला चॉकलेट से शुरू होकर अब “नोचने” तक जा पहुंचा है। सोशल मीडिया पर दिखावे के रिश्ते, प्यार में धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग, और फरेब की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। मोहब्बत का नाम लेकर गुमराह करने वालों की कमी नहीं, जहां पहले दिलों का मेल अहम था, अब वहां ब्रांडेड गिफ्ट्स और स्टेटस सिंबल ने जगह ले ली है।
सच्चे प्यार की पहचान महंगे गिफ्ट्स से नहीं, बल्कि विश्वास और सम्मान से होती है। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि मोहब्बत के नाम पर एक पूरा उद्योग खड़ा कर दिया गया है। फिल्में, सोशल मीडिया, विज्ञापन—हर जगह यही दिखाया जा रहा है कि अगर आपने इस “लव वीक” पर कुछ नहीं किया तो आप पिछड़ गए। लेकिन क्या प्यार किसी तारीख का मोहताज होता है? क्या सच्चा रिश्ता केवल फरवरी के 7 दिनों में साबित किया जा सकता है?
इसी मोहब्बत के नाम पर ठगी और धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ रही हैं। हर साल इस दौरान कई युवा मानसिक तनाव, ब्लैकमेलिंग और धोखे का शिकार हो जाते हैं। एक तरफ तो यह प्रेम का सप्ताह बताया जाता है, वहीं दूसरी तरफ प्यार में असफल होने पर अपराध तक होने लगे हैं। रिश्तों में ईमानदारी और सच्चाई की जगह अब स्वार्थ और लालच ने ले ली है।
समाज को अब सतर्क होने की जरूरत है। प्रेम त्याग, सम्मान और सच्चे भावों में बसता है, न कि महंगे गिफ्ट्स और दिखावे में। अगर किसी से सच्चा प्रेम है, तो उसे साल के 365 दिन निभाएं, न कि सिर्फ बाज़ार के बनाए एक हफ्ते में। अंधविश्वास और दिखावे के इस जाल में फंसने से बचें। प्यार किसी खास दिन का मोहताज नहीं होता, यह एक एहसास है, जो सच्चे मन और नीयत से निभाया जाता है।