रेयाज अहमद की रिपोर्ट
गाजीपुर (भांवरकोल)
गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर और धीमी गति ने तटवर्ती गांवों के किसानों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। एक ओर जहां बाढ़ की आशंका से क्षेत्र के किसान चिंतित हैं, वहीं दूसरी ओर गंगा की निरंतर हो रही कटान ने उनके जीवन को और कठिन बना दिया है। शेरपुर के मुबारकपुर मौजे के किसान इस कटान की मार झेल रहे हैं, जहां खेती योग्य जमीन तेजी से गंगा नदी में समाहित होती जा रही है।
धर्मपुरआ भागड़नाले से होते हुए आमघाट तक बाढ़ का पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। इस बीच, शेरपुर पंचायत के जलालपुर मौजे की अधिकांश खेती योग्य भूमि पहले ही नदी में समाहित हो चुकी है, जिससे किसान अपनी आजीविका को लेकर बेहद चिंतित हैं।
कटान की चपेट में मुबारकपुर और निषाद बस्ती
शुक्रवार की देर शाम को मुबारकपुर गंगा घाट के पास कुछ हिस्सा नदी में समाहित हो गया। मुबारकपुर की निषाद बस्ती, जहां 50 से अधिक परिवार रहते हैं, अब कटान की चपेट में आ गई है। नदी की धारा और बस्ती के बीच की दूरी अब मात्र कुछ मीटर रह गई है, जिससे वहां के निवासियों के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम न उठाए जाने से लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।
तीन दशकों से जारी है कटान की त्रासदी
पिछले तीन दशकों से गंगा की कटान ने इस क्षेत्र के किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। लोगों नें बताया कि शेरपुर के जलालपुर और शेरपुर मौजे में कई बीघे कृषि योग्य भूमि कटान के कारण नदी में समाहित हो चुकी है। जुलाई से अब तक भी अधिक भूमि नदी की धारा में विलीन हो चुकी है। कटान की वजह से कई किसान अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे हैं, और उनके पास खेती के लिए पर्याप्त जमीन भी नहीं बची है।