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उत्तर प्रदेश का अनोखा गांव: जहां प्रवेश के लिए लेनी पड़ती है टिकट, मिलता है प्रकृति और संस्कृति का अनूठा अनुभव

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गाज़ीपुर – उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक अनोखा गांव है, जिसे देखने के लिए लोगों को टिकट लेना पड़ता है। यह गांव, जिसे खुरपी नेचर विलेज के नाम से जाना जाता है, गाजीपुर मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव खासतौर पर प्राकृतिक सौंदर्य और ग्रामीण जीवन को करीब से महसूस करने के लिए बनाया गया है।

यहां प्रवेश के लिए 20 रुपये की टिकट जरूरी होती है, और बिना टिकट के गांव में किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है।इस गांव में आने वाले पर्यटक एक पारंपरिक भारतीय गांव का अनुभव कर सकते हैं। यहां की हरियाली, तालाब, और पुराने ढंग से बनाए गए मकान इसे विशेष बनाते हैं। गांव का माहौल एक प्राचीन गांव जैसा प्रतीत होता है, जहां आधुनिकता की झलक के साथ पुराने समय का सौंदर्य भी बना हुआ है। गांव के प्राकृतिक माहौल में पर्यटक सुकून महसूस करते हैं, और उन्हें भारतीय ग्रामीण संस्कृति को नजदीक से जानने का मौका मिलता है।

खुरपी नेचर विलेज बच्चों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है। यहां एक छोटा चिड़ियाघर है, जिसमें बच्चे विभिन्न जानवरों को देख सकते हैं। इसके अलावा, यहां घुड़सवारी, बोटिंग और खेलकूद जैसी गतिविधियों का भी आनंद लिया जा सकता है। दीवारों पर बने रंग-बिरंगे चित्र और संदेश बच्चों के लिए शिक्षा का भी माध्यम बनते हैं, जहां उन्हें कला और पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है। यह गांव बच्चों को भारतीय संस्कृति और प्रकृति से परिचित कराने के लिए एक बेहतरीन जगह है।गांव के अंदर एक ओपन जिम भी है, जहां पर्यटक और स्थानीय लोग व्यायाम कर सकते हैं। इस जिम का खास आकर्षण इसका खुले वातावरण में होना है, जहां लोग प्रकृति के बीच में रहकर अपनी फिटनेस पर ध्यान दे सकते हैं।

तालाब के किनारे बैठकर कुल्हड़ वाली चाय पीने का भी यहां अलग ही मजा है। यह छोटी-छोटी सुविधाएं पर्यटकों को एक अलग अनुभव प्रदान करती हैं।खुरपी नेचर विलेज सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह गांव रोजगार सृजन के लिए भी जाना जाता है। यहां मछली पालन और देशी मुर्गी पालन का काम होता है। गांव में 4-5 लोग इस काम से जुड़े हुए हैं, जो आसपास के ही निवासी हैं। यहां के अंडे बाजार में बेचे जाते हैं, जिससे ग्रामीणों को आर्थिक लाभ होता है। इस तरह यह गांव स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है और उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है।

इस गांव की एक और खासियत है प्रभु की रसोई। यहां हर दिन 100 से 150 गरीबों के लिए मुफ्त में खाना बनाया जाता है। गांव में आने वाले पर्यटकों द्वारा दिए गए दान और टिकट से मिलने वाले पैसों का इस्तेमाल गरीबों के भोजन के लिए किया जाता है। गांव के मालिक का मानना है कि उनका उद्देश्य है कि कोई भी गरीब भूखा न सोए। इस गांव में समाज सेवा का एक बड़ा हिस्सा शामिल है, और यहां के लोग इस काम को बड़े दिल से करते हैं।गाजीपुर आने के बाद आप कार या पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए इस गांव तक आसानी से पहुंच सकते हैं। सड़क, रेल, और हवाई मार्ग के जरिए गाजीपुर पहुंचना काफी आसान है।

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