नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण हर साल गंभीर संकट का रूप लेता जा रहा है, लेकिन इसे लेकर राजधानीवासियों का रवैया चिंताजनक है। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश लोग प्रदूषण को लेकर सजगता दिखाने के बजाय इसे हल्के में लेते हैं। सवाल यह उठता है कि जब नागरिक ही लापरवाह हैं, तो प्रदूषण रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों का क्या फायदा?
हर साल सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर प्रदूषण रोकने के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं। करोड़ों रुपये खर्च कर स्मॉग टावर लगाए जाते हैं, एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल होता है, और वाहनों पर पाबंदियां लगाई जाती हैं। इसके बावजूद प्रदूषण में कोई खास कमी नहीं आ रही।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार के साथ-साथ जनता का सहयोग भी जरूरी है। पराली जलाने, वाहनों के अत्यधिक उपयोग, और कचरे के अनियंत्रित जलने जैसी समस्याओं से निपटने के लिए जागरूकता और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
जब तक दिल्लीवासी प्रदूषण को गंभीरता से नहीं लेंगे और अपने स्तर पर सुधार नहीं करेंगे, तब तक रोकथाम के तमाम प्रयास अधूरे ही रहेंगे। अब वक्त है कि लोग इस संकट को समझें और अपनी जिम्मेदारियां निभाएं।