देश में इन दिनों मंदिर-मस्जिद की राजनीति जोरों पर है। कभी खुदाई के नाम पर मंदिर खोजा जा रहा है, तो कभी मस्जिद के नक्शे पर बहस हो रही है। टीवी, सोशल मीडिया और सियासत के गलियारों में सिर्फ धर्म की गूंज है। लेकिन बड़ा सवाल ये है – क्या इन बहसों से बेरोजगारी खत्म होगी? क्या महंगाई कम होगी? क्या गरीब का चूल्हा जलेगा?
जब देश में युवा नौकरी के लिए भटक रहे हैं, किसान कर्ज में डूबे हैं और लोग महंगाई से परेशान हैं, तब मंदिर-मस्जिद के नाम पर जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाया जा रहा है। धर्म का विकास और देश का विकास एक नहीं होता! पूजा-पाठ से देश आगे नहीं बढ़ता, देश आगे बढ़ता है रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से।
देश की जमीन पर मंदिर-मस्जिद की खुदाई हो रही है, लेकिन जनता के पेट की खुदाई पर कोई बात नहीं! करोड़ों रुपये सुरक्षा, पुलिस और कर्फ्यू में खर्च हो रहे हैं, जबकि यही पैसा रोजगार, अस्पताल और स्कूल पर लगाया जा सकता था। सवाल ये है कि जनता कब समझेगी कि मंदिर-मस्जिद का झगड़ा असली मुद्दों से ध्यान हटाने का तरीका है?