मकर संक्रांति यह त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार पतंगबाजी के लिए खास तौर पर जाना जाता है, जहां बच्चे, युवा और बड़े सभी अपने-अपने अंदाज में पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं। लेकिन इस उत्सव के बीच एक अदृश्य खतरा मंडरा रहा है, और वह है चायनीज मंझा। यह मंझा अपनी तेज धार और खतरनाक प्रकृति के कारण न केवल अवैध है, बल्कि कई बार यह लोगों की जान तक ले चुका है।
चायनीज मंझा कांच और प्लास्टिक के मिश्रण से बनाया जाता है, जो पतंग उड़ाने में आसानी तो देता है, लेकिन इसकी धार इतनी तेज होती है कि यह किसी के गले, चेहरे, कान, या शरीर के अन्य हिस्सों को गहरी चोट पहुंचा सकता है। सड़क पर चलने वाले बाइक सवार, राहगीर और यहां तक कि निर्दोष पक्षी भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।
हालांकि सरकार ने इस मंझे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है, फिर भी चोरी-छिपे इसकी बिक्री जारी है। प्रशासन ने कई जगहों पर छापेमारी कर इसे जब्त भी किया है, लेकिन कुछ लोग अपने शौक को पूरा करने के लिए इसे अवैध रूप से खरीदते और बेचते हैं। यह लापरवाही समाज के लिए घातक साबित हो रही है।
चायनीज मंझे के कारण अब तक कई गंभीर घटनाएं हो चुकी हैं। बाइक सवारों का गला कट जाना, बच्चों और राहगीरों के घायल होने की खबरें लगातार सामने आती हैं। पक्षियों के लिए भी यह मंझा जानलेवा साबित हो रहा है। उड़ते हुए पक्षी अक्सर इस मंझे में फंसकर घायल हो जाते हैं या उनकी मौत हो जाती है।
इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। पतंग उड़ाने के लिए साधारण धागों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। बाइक सवारों को हेलमेट पहनकर चलने की आदत डालनी होगी, और बच्चों को चायनीज मंझा खरीदने और उपयोग करने से रोकना होगा।
अगर कहीं चायनीज मंझा बिकते हुए दिखाई दे, तो इसकी सूचना तुरंत प्रशासन को देनी चाहिए। प्रशासन को भी बाजारों और दुकानों पर नियमित छापेमारी करनी चाहिए ताकि इस अवैध मंझे की बिक्री पूरी तरह से रोकी जा सके।
यह त्योहार खुशियां बांटने का है, लेकिन यह तभी संभव है जब हम अपनी और दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखें। पतंगबाजी का मजा तभी है जब यह किसी के लिए खतरनाक साबित न हो। चायनीज मंझे के इस्तेमाल से बचें और दूसरों को भी इसके खतरों के प्रति जागरूक करें ताकि यह मकर संक्रांति सुरक्षित और सुखद बन सके।
संतोष गुप्ता