लखनऊ | उत्तर प्रदेश में इस साल गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूट सकते हैं। मौसम विभाग ने मार्च से ही भीषण गर्मी और लू (हीटवेव) की चेतावनी जारी की है। अनुमान है कि अप्रैल में तापमान 46°C तक पहुंच सकता है, जबकि मई में यह 49°C तक जा सकता है। यह राज्य के इतिहास की सबसे भयावह गर्मी हो सकती है।
गर्म हवाओं का कहर मार्च से ही शुरू होगा
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार गर्मी अपने चरम पर रहेगी। मार्च के पहले सप्ताह से ही तापमान में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी जा सकती है। अप्रैल और मई में लू चलने की संभावना अधिक है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित होगा।
खेती पर भारी असर, किसानों की चिंता बढ़ी
गर्म मौसम का सबसे ज्यादा असर गेहूं, सरसों और अन्य रबी फसलों पर पड़ सकता है। इतनी अधिक गर्मी से फसलें झुलसने की आशंका है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को उचित सिंचाई व्यवस्था बनाए रखने और फसलों की विशेष देखभाल करने की सलाह दी है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव – लू से बचाव बेहद जरूरी
भीषण गर्मी से बुजुर्गों, बच्चों और हृदय रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। लू और डिहाइड्रेशन के मामले बढ़ सकते हैं। डॉक्टरों का सुझाव है कि –
✔ ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
✔ दोपहर में बाहर निकलने से बचें।
✔ हल्के और सूती कपड़े पहनें।
✔ तेज धूप में सिर को ढककर रखें।
सरकार और प्रशासन अलर्ट मोड में
उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन ने भीषण गर्मी से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। अस्पतालों में हीट स्ट्रोक वार्ड तैयार किए जा रहे हैं, और किसानों को जागरूक किया जा रहा है। वहीं, बिजली विभाग भी निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विशेष इंतजाम कर रहा है।
गर्मी से राहत कब मिलेगी?
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस भीषण गर्मी से राहत मिलने की संभावना जून के अंत तक है, जब मानसून दस्तक देगा। तब तक लोगों को सतर्क रहने और सावधानियां बरतने की जरूरत होगी।
यूपी में यह गर्मी एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है। ऐसे में आम जनता को सतर्क रहना होगा और गर्मी से बचाव के उपाय अपनाने होंगे।