गाजीपुर – जिलाधिकारी आर्यका अखौरी की अध्यक्षता में 27 अगस्त 2024 को जनपद पोषण समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें सम्भव अभियान के तहत कुपोषित बच्चों के प्रबंधन और विभिन्न विभागों की गतिविधियों की समीक्षा की गई। बैठक में स्वास्थ्य विभाग, बाल विकास विभाग और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने कुपोषित बच्चों के प्रबंधन में आंगनबाड़ी केंद्रों की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय की कमी पर नाराजगी जाहिर की। विशेष रूप से बाराचवर, देवकली, जखनियॉ, करण्डा, मनिहारी, मरदह, और सदर क्षेत्रों के बाल विकास परियोजना अधिकारियों को चेतावनी जारी की गई, क्योंकि इन क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों के पोर्टल पर पंजीकरण और पोषण गतिविधियों की प्रगति संतोषजनक नहीं पाई गई। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि 31 अगस्त 2024 तक सभी कार्य शत-प्रतिशत पूरे किए जाएं।
आंगनबाड़ी केंद्रों की समीक्षा पर कड़ी नाराजगी
आंगनबाड़ी केंद्रों की समीक्षा में पाया गया कि कई केंद्र नियमित रूप से नहीं खुल रहे थे, जिससे जिलाधिकारी ने सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जो आंगनबाड़ी केंद्र बंद रखे जा रहे हैं, उनके कर्मचारियों का मानदेय स्थायी रूप से रोका जाएगा। साथ ही, बाल विकास परियोजना अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे प्रत्येक दिन इसकी समीक्षा करें।
मोबाइल वेरिफिकेशन और पोषण आहार वितरण में देरी पर चेतावनी
बैठक में पोषण आहार वितरण की भी समीक्षा की गई। पाया गया कि लाभार्थियों के मोबाइल वेरिफिकेशन का कार्य पूरा नहीं हुआ है। जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को चेतावनी दी कि इस माह के अंत तक सभी लाभार्थियों का मोबाइल वेरिफिकेशन पूरा किया जाए।
हॉट कुक्ड़ योजना की गहन समीक्षा
हॉट कुक्ड़ योजना के तहत बच्चों को खाना खिलाने की प्रक्रिया की भी गहन समीक्षा की गई। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि बच्चों को दी जाने वाली भोजन सामग्री का उपभोग प्रमाण पत्र आंगनबाड़ी प्रधानाचार्य और ग्राम प्रधान द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया जाए, ताकि इस योजना में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो सके।
बैठक में कासिमाबाद के बाल विकास परियोजना अधिकारी अखिलेश चौहान के बिना सूचना अनुपस्थित रहने पर उनका वेतन रोकने का आदेश भी जारी किया गया। इसके अलावा, अन्य अधिकारियों को चेतावनी जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
जिलाधिकारी ने बैठक के अंत में सभी विभागों को निर्देशित किया कि वे कुपोषित बच्चों के प्रबंधन और पोषण योजनाओं को प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध रूप से कार्य करें।