लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली और ई-ऑफिस की व्यवस्था को लागू करने में विभागों की सुस्ती पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। सचिवालय और कुछ चुनिंदा विभागों को छोड़कर अभी तक अधिकांश विभाग बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली से नहीं जुड़ पाए हैं। लाखों कर्मचारी और हजारों अधिकारी बिना बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज किए ही काम कर रहे हैं, जिससे सरकारी कामकाज में अनुशासनहीनता देखी जा रही है। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के निर्देशों के बावजूद, केवल 50 हजार कर्मचारियों ने बायोमैट्रिक सिस्टम से उपस्थिति दर्ज की है, जबकि प्रदेश में करीब 20 लाख कर्मचारी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों को 5 सितंबर तक ई-ऑफिस व्यवस्था को हर हाल में लागू करने के निर्देश दिए हैं।
कई जिलों में ई-ऑफिस की धीमी प्रगति पर नाराजगी प्रदेश के कई मंडलों और जिलों में ई-ऑफिस लागू किया जा चुका है, लेकिन फाइल मूवमेंट की स्थिति संतोषजनक नहीं है। प्रयागराज, बरेली, आजमगढ़, मिर्जापुर, अलीगढ़, कानपुर और मेरठ में बहुत कम ई-फाइलें बनाई गई हैं, जबकि गोरखपुर, बस्ती, लखनऊ और वाराणसी में अभी तक ई-फाइल मूवमेंट शुरू ही नहीं हुआ है। अयोध्या, देवीपाटन और मुरादाबाद मंडलों में अब तक ई-ऑफिस प्रणाली लागू नहीं हो पाई है।
नगर निगमों और विकास प्राधिकरणों की भी स्थिति चिंताजनक राज्य के नगर निगमों और विकास प्राधिकरणों में भी ई-ऑफिस प्रणाली का क्रियान्वयन धीमा है। सहारनपुर नगर निगम और कई अन्य विकास प्राधिकरणों में अब तक ई-फाइल मूवमेंट शुरू नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव एसपी गोयल ने संबंधित अधिकारियों को ई-ऑफिस की धीमी प्रगति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए 5 सितंबर तक इसे पूरी तरह लागू करने के सख्त निर्देश दिए हैं।
बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली पर भी सरकार का कड़ा रुख बायोमैट्रिक हाजिरी को लेकर भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार सख्त है। हालांकि, शिक्षा विभाग में कर्मचारियों और शिक्षकों के विरोध के चलते बायोमैट्रिक प्रणाली पर फिलहाल दो महीने की रोक लगाई गई है, लेकिन यह अस्थायी है। इसके बाद शिक्षा विभाग में भी बायोमैट्रिक प्रणाली लागू करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।योगी सरकार के इस कड़े रुख से स्पष्ट है कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए ई-ऑफिस और बायोमैट्रिक हाजिरी को अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा।