गाजीपुर (रेवसड़ा)। धर्म और आस्था का अद्भुत संगम इन दिनों रेवसड़ा गांव में देखने को मिल रहा है, जहां दिनांक 30 अप्रैल से 6 मई तक श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का भव्य आयोजन किया गया है। इस पावन आयोजन के संयोजक मुन्ना राय उर्फ पी.एन. राय जी हैं। कथा में क्षेत्रीय ग्रामीणों सहित श्रद्धालुजनों ने भारी संख्या में भाग लेकर धर्म, भक्ति और ज्ञान का रसपान किया।
इस धार्मिक आयोजन में कथा व्यास श्रीमती शिवांगी शुक्ला जी (श्रीधाम वृंदावन) ने व्यासपीठ से श्रीमद्भागवत महापुराण का रसपूर्ण वर्णन किया। कथा के द्वितीय दिवस पर देवी जी ने श्रोताओं को भागवत महापुराण के महत्व से अवगत कराते हुए बताया कि ‘भागवत’ शब्द का अर्थ है — भ से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त से त्याग। जो व्यक्ति इन चारों को अपने जीवन में धारण कर लेता है, वही सच्चे रूप में भगवान की प्राप्ति कर लेता है।
देवी जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत ऐसा दिव्य पुराण है, जिसकी श्रवण की लालसा देवतागण भी करते हैं। नैमिषारण्य तीर्थ में सूत जी महाराज ने 88 हजार महर्षियों को इस कथा का श्रवण कराते हुए भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का उपदेश दिया। कथा व्यास ने गोवर्णक ऋषि द्वारा धुंधकारी के उद्धार और राजा परीक्षित को श्रृंगी ऋषि द्वारा श्राप प्राप्त होने की कथा का भी भावपूर्ण वर्णन किया। श्राप प्राप्ति के बाद कैसे राजा परीक्षित ने मां गंगा तट पर सभी महर्षियों के सान्निध्य में श्री शुकदेव जी महाराज से भागवत कथा का अमृतपान किया, यह प्रसंग सुनाकर देवी जी ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
— संवाददाता जय कुमार पाण्डेय