सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (28 अगस्त, 2024) को उन लाखों सरकारी कर्मचारियों को राहत दी है जिनकी अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटे के तहत प्राप्त सरकारी नौकरियों पर संकट मंडरा रहा था। इन कर्मचारियों को कर्नाटक सरकार द्वारा एससी-एसटी सूची से बाहर किए जाने के बाद नौकरी से निकाले जाने का खतरा था।
कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें पूछा गया था कि उनकी सेवाएं क्यों समाप्त नहीं की जानी चाहिए। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस आदेश को खारिज करते हुए कहा कि ये नोटिस अनुचित हैं और इन्हें रद्द कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में कहा कि कर्मचारियों को 29 मार्च, 2003 के सरकारी परिपत्र के आधार पर अपनी सेवाओं की सुरक्षा का हक है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के तहत अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सूची में संशोधन करने का अधिकार नहीं है।
इस फैसले से केनरा बैंक, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम कर रहे कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। वित्त मंत्रालय के अगस्त 2005 के पत्र का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन कर्मचारियों ने कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करके एससी और एसटी प्रमाण पत्र प्राप्त किए हैं और उन्हें अपनी नौकरियों में बने रहने का अधिकार है।