रेयाज अहमद की रिपोर्ट
मुहम्मदाबाद गाजीपुर _ जिले के मुहम्मदाबाद में आज मोहर्रम के चेहल्लूम के मौके पर इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को नम आंखों से याद किया गया। चेहल्लूम का मतलब मोहर्रम के चालीसवें दिन की याद है, जिसे पूरी दुनिया में इमाम हुसैन और उनके साथियों की कुर्बानी के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोग मातम करते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं।
मुहम्मदाबाद के जामा मस्जिद, कुरैशी मोहल्ला स्थित इमामबाड़े से शाम करीब 7 बजे ताजिया निकाला गया। बड़ी संख्या में लोग इस जुलूस में शामिल हुए। ताजिया निकालने के बाद यह जुलूस सदर रोड, रामचबूतरा और अग्रवालटोली से होते हुए आतिशबाज मोहल्ला पहुंचा। इस दौरान लोग नौहा पढ़ते और सीना पीटते हुए गम का इज़हार कर रहे थे। नौहों की गूंज से माहौल में गहरा दुख और शहीदों की याद का असर दिख रहा था।
जब जुलूस आतिशबाज मोहल्ला पहुंचा, तो वहां अंजुमन वारसीया और अंजुमन गुलजार-ए-हैदरी की ओर से नौहा पेश किया गया। नौहाख्वान ने इमाम हुसैन और उनके साथियों की बहादुरी और ज़ुल्म के खिलाफ उनकी लड़ाई का जिक्र किया। लोग गम में डूबे हुए थे और उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
ताजिया रखने के बाद, रात करीब 9 बजे अज़ादार कर्बला की ओर रवाना हुए, जहां उन्होंने शहीदों की याद में मासिहा पढ़ा और उन्हें श्रद्धांजलि दी। कर्बला पहुंचकर लोगों ने उस ऐतिहासिक घटना को याद किया, जहां इमाम हुसैन और उनके साथियों ने अन्याय के खिलाफ अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
इस पूरे आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और उन्होंने शहीदों की कुर्बानी को याद करते हुए गम का इज़हार किया। चेहल्लूम के इस दिन ने एक बार फिर से यह याद दिलाया कि इमाम हुसैन की कुर्बानी इंसानियत और न्याय के लिए एक मिसाल है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।