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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के हालिया बयान ने विभिन्न हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। मुख्यमंत्री ने अपने एक भाषण में कहा कि जो लोग भारत में रहते हैं और यहां के संसाधनों का लाभ उठाते हैं, उन्हें देश की संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से यह टिप्पणी की कि “भारत में रहना है तो रामकृष्ण की जय कहना होगा।”
इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कुछ लोगों ने इसे देशभक्ति और सांस्कृतिक चेतना से जुड़ा संदेश माना है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने इसे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के विपरीत बताया है। विपक्षी दलों ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश की विविधता और संविधान के आदर्शों से मेल नहीं खाता।
मुख्यमंत्री के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने देश की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति सम्मान और लोगों को उसकी महत्ता का एहसास कराने के लिए यह बात कही है। उनका मानना है कि हर व्यक्ति को उस देश की संस्कृति का सम्मान करना चाहिए, जहां वह रहता है। इसके अलावा, कुछ लोग इसे सांप्रदायिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचाने वाला बयान मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे राष्ट्रीय एकता के रूप में देख रहे हैं।
जनता के बीच इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है। जहां कुछ लोग मुख्यमंत्री के बयान का समर्थन कर रहे हैं, वहीं अन्य इसे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ मान रहे हैं।