जब कलम बिकने लगे, तो आवाज़ उठाना ज़रूरी हो जाता है!
30 मई — एक तारीख़, जो महज़ एक अख़बार की शुरुआत नहीं, बल्कि भारत में जनता की आवाज़ के जन्म का दिन है। 1826 में ‘उदंत मार्तंड’ के पहले अंक के साथ हिंदी पत्रकारिता ने जो लौ जलाई थी, वो सच और हक़ की अलख थी। लेकिन सवाल ये है — क्या वही लौ आज भी जल रही है, या बुझ चुकी है?
पत्रकारिता: जो जनता के लिए थी, अब सत्ता की मोहताज?
वक़्त बदला, ज़माना बदला — और बदल गई पत्रकारिता।
जो कभी आम आदमी की आवाज़ थी, वो आज सत्ताधारियों का भोंपू बनती दिख रही है।
आज के अख़बारों में खबरों से ज़्यादा विज्ञापन, और सच से ज़्यादा ‘सेटिंग’ छपती है।
टीवी चैनलों पर बहस कम, सर्कस ज़्यादा होता है।
एंकर अब पत्रकार नहीं, सत्ता-भक्ति में लिप्त प्रचारक लगते हैं।
हेडलाइन अब सच पर नहीं, सेल्स पर आधारित होती है।
“आपने इतना अच्छा किया, जनता क्यों नहीं समझती?” जैसे चापलूस सवाल पूछने वाले पत्रकार जब ‘वरिष्ठ पत्रकार’ कहलाने लगें — तो समझ लीजिए कि लोकतंत्र की नींव में दरारें पड़ चुकी हैं।
पत्रकारिता या दलाली?
जब खबरें ‘पेड’ हो जाएं,
सच्ची रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को धमकियां मिलें,
गोली खाएं, जेल जाएं —
तो ये संकट सिर्फ पत्रकारिता का नहीं,
बल्कि लोकतंत्र की रीढ़ टूटने की चेतावनी है।
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अब दरकने लगा है।
असल पत्रकारिता कहाँ बची है?
कहीं बची है — तो उन रिपोर्टरों में,
जो गांव की पगडंडी पर धूल भरी चप्पलें घिसते हुए
जमीनी सच्चाई खोजने निकलते हैं।
जो TRP की परवाह नहीं करते,
बल्कि आदिवासी की उजड़ी ज़मीन की बात करते हैं।
जो रेप पीड़िता की आवाज़ बनते हैं।
जो रात के अंधेरे में भी सच्चाई की मशाल लेकर निकलते हैं।
हिंदी पत्रकारिता की असली ताक़त उन्हीं जमीनी सिपाहियों में है।
अब ज़रूरत है…
👉 पत्रकारों को फिर “निडर और बेक़ौफ़” बनने की।
👉 पाठकों को “भीड़” से “जागरूक नागरिक” बनने की।
👉 फेक न्यूज़ के ख़िलाफ़ खुली जंग छेड़ने की।
👉 मीडिया को सत्ता का गुलाम नहीं,
लोकतंत्र का चौथा मज़बूत स्तंभ बनाने की।
इस हिंदी पत्रकारिता दिवस पर पूछिए खुद से —
📌 क्या आपके अख़बार में सच छपता है?
📌 क्या आपका टीवी चैनल डर से आज़ाद है?
📌 क्या पत्रकारिता अब भी जनता के लिए है या सत्ता की सेवा में?
क्योंकि याद रखिए…
अगर कलम बिकने लगे,
और आवाज़ दबा दी जाए,
तो क्रांति सिर्फ शब्दों से नहीं,
बल्कि सच्चाई से होती है।
✒️ विशेष संपादकीय
संवाददाता: रेयाज अहमद
